Thursday 26 June 2014

रात से थोड़ी बात

अरे ओ हसीन रात ज़रा रुकना, हाँ कहो :), कहाँ जा रही हो ? सुबह की दहलीज़ तक :), रोज़ जाती हो ? हाँ :) , दिल नहीं भरता रोज़ रोज़  मिलने से ? नहीं बस चन्द पलों को ही तो हम मिलते हैं, और मैं सदियों से सुबह की इसी एक झलक पाने को जाग रही हूँ , हम्म, पर तुम क्यों तनहा खड़े हो यहाँ ? मैं किसी का इंतज़ार कर रहा हूँ :), किसका इंतज़ार ? वो अपनी नींद है ना उसी का , अच्छा क्यूँ आज कल वक़्त से नहीं आती क्या ? नहीं थोड़ी थोड़ी रूठी हुई है आज कल :), तो चलो मेरे साथ , नहीं तुम जाओ मैं इंतज़ार करूँगा बस आती होगी वो वैसे भी मैं अगर तुम्हारे साथ गया तो सुबह मिझे अपने साथ लेता जायेगा और मैं अपनी नींद से नहीं मिल पाऊंगा , अच्छा तो मैं चली, हम्म सुबह को मेरा सलाम कहना....।।

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